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साम्राज्य त्याग की सूचना पर आम्रपाली ने कहा – “मेरे निमित्त इतना वृहत निर्णय....? नहीं....देव...नहीं । एक गणिका का अस्तित्व ही क्या.....? तीव्र अन्धड़ के समक्ष किसी तिनके का क्या मूल्य ? आकाशगामी पतंग का डोर से कहाँ तक सम्बन्ध....? नहीं ....सम्राट ....नहीं, भूल जाइये अपनी आम्रपाली और बचा लीजिए परिवार के बिखरते नक्षत्र को ।” बिम्बिसार – “असंभव ! जिसे प्राप्त करने हेतु असंख्य लोगों का बलिदान हुआ और मर्यादा की समग्र सीमाओं को तोड़ना पड़ा तो उसे कैसे भूल जाऊँ ........? मैं स्वयं को तो भूल सकता हूँ किन्तु तुम्हें नहीं आम्रपाली.....। तू मुझमें रच-बस चुकी है ।.

Product Details

  • Format: Paperback
  • Book Size:5.5 x 8.5
  • Total Pages:225 pages
  • Language:HINDI
  • ISBN:978-9395482325
  • Paper Type:PAPERBACK
  • Publication Date:January 30 ,2024

Product Description

साम्राज्य त्याग की सूचना पर आम्रपाली ने कहा – “मेरे निमित्त इतना वृहत निर्णय....? नहीं....देव...नहीं । एक गणिका का अस्तित्व ही क्या.....? तीव्र अन्धड़ के समक्ष किसी तिनके का क्या मूल्य ? आकाशगामी पतंग का डोर से कहाँ तक सम्बन्ध....? नहीं ....सम्राट ....नहीं, भूल जाइये अपनी आम्रपाली और बचा लीजिए परिवार के बिखरते नक्षत्र को ।” बिम्बिसार – “असंभव ! जिसे प्राप्त करने हेतु असंख्य लोगों का बलिदान हुआ और मर्यादा की समग्र सीमाओं को तोड़ना पड़ा तो उसे कैसे भूल जाऊँ ........? मैं स्वयं को तो भूल सकता हूँ किन्तु तुम्हें नहीं आम्रपाली.....। तू मुझमें रच-बस चुकी है ।.

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