Budhiya Leta Toh
मैं अपने प्रथम गीत-नवगीत संग्रह “बुधिया लेता टोह” को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ. यूँ तो बचपन से ही मेरा लगाव कविता और संगीत से रहा. रसिक श्रोता बन कवि सम्मेलनों में रात-रात भर जागते हुए काव्य रस का आनंद उठाया. रामायण, भजन, संगीत में भी सदैव रुचि रही, सुबह की शुरुआत तो विविध भारती के भोर सुहानी कार्यक्रम के साथ अभी तक होती है. मैं स्वयं कविता लिखूँगा, यह कभी सोचा ही नहीं था. रेलवे की नौकरी और वह भी परिचालन विभाग में जहाँ गाडी संचालन का कार्य जो भोर से ही प्रारंभ हो जाता है और देर रात तक लगातार चलता ही रहता है, साहित्य की साधना वाकई एक दुरूह कार्य था. मेरी काव्य यात्रा वर्ष 2015 में प्रारम्भ हुई जो अभी तक अनवरत रूप से जारी है. मैं कहाँ तक इसमें सफल हुआ हूँ यह निर्णय पाठकों पर छोड़ना ही उचित होगा. .
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:134 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-62-9
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
मैं अपने प्रथम गीत-नवगीत संग्रह “बुधिया लेता टोह” को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ. यूँ तो बचपन से ही मेरा लगाव कविता और संगीत से रहा. रसिक श्रोता बन कवि सम्मेलनों में रात-रात भर जागते हुए काव्य रस का आनंद उठाया. रामायण, भजन, संगीत में भी सदैव रुचि रही, सुबह की शुरुआत तो विविध भारती के भोर सुहानी कार्यक्रम के साथ अभी तक होती है. मैं स्वयं कविता लिखूँगा, यह कभी सोचा ही नहीं था. रेलवे की नौकरी और वह भी परिचालन विभाग में जहाँ गाडी संचालन का कार्य जो भोर से ही प्रारंभ हो जाता है और देर रात तक लगातार चलता ही रहता है, साहित्य की साधना वाकई एक दुरूह कार्य था. मेरी काव्य यात्रा वर्ष 2015 में प्रारम्भ हुई जो अभी तक अनवरत रूप से जारी है. मैं कहाँ तक इसमें सफल हुआ हूँ यह निर्णय पाठकों पर छोड़ना ही उचित होगा. .