Katha Sagar ki Machliyan
By: Dr. Achala Nagar
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मेरी समझ में नहीं आता कि आप इस बात पर यकीन क्यों नहीं करते कि कहानी की नायिका यानी मैंने ही आपके कथानायक की हत्या की थी। ऐसा होने को
आखि़र आप असंभव मानते ही क्यों हैं क्या इसलिए कि ऐसा प्रायः नहीं होताए या फिर इसलिए कि अदालत ने एक अर्सा पहले इसे आत्महत्या का केस करार कर दिया
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Product Details
- Format: Hardcopy
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:147 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-19-3
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
मेरी समझ में नहीं आता कि आप इस बात पर यकीन क्यों नहीं करते कि कहानी की नायिका यानी मैंने ही आपके कथानायक की हत्या की थी। ऐसा होने को
आखि़र आप असंभव मानते ही क्यों हैं क्या इसलिए कि ऐसा प्रायः नहीं होताए या फिर इसलिए कि अदालत ने एक अर्सा पहले इसे आत्महत्या का केस करार कर दिया
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