Pushpmala
भूल मुझे उन्हें जाना होगा, जिनके संग सदा रहता था,
संग संग रहकर बातें करता, संग रहना अच्छा लगता था।
मैं अभी दूर चला आया हूँ, संग रहना अब नहीं है संभव,
दूर हुए सब संगी साथी संग रहना अब हुआ असंभव।
दिल को थाम अकेले रहना, अब मेरी मज़बूरी है भैया,
हुई आज मेरी जो हालत, नहीं सुधरना संभव भैया।
मन को इसीलिए कहता हूँ, दिल को थाम अरे रह जाओ,
बातें जो कुछ बीत चुकी हैं, मन से उनको दूर भगाओ।
भूत, भूत है,वर्तमान कभी नहीं वो हो सकता,
इन दोनों का मेल असंभव, एक न कभी भी वो हो सकता।
इसीलिए मन को तुम संभालो, भूल जाओ वे सारे रिश्ते,
करो भरोसा वर्तमान पर, और बना लो कुछ नए रिश्ते।
वर्तमान में जो भी सुलभ है, उसमें ही अब तुम रम जाओ।
वर्तमान को ही जीने का, अब केवल आधार बनाओ।
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Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:91 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-81-94534-23-5
- Publication Date:July 6 ,2020
Product Description
भूल मुझे उन्हें जाना होगा, जिनके संग सदा रहता था,
संग संग रहकर बातें करता, संग रहना अच्छा लगता था।
मैं अभी दूर चला आया हूँ, संग रहना अब नहीं है संभव,
दूर हुए सब संगी साथी संग रहना अब हुआ असंभव।
दिल को थाम अकेले रहना, अब मेरी मज़बूरी है भैया,
हुई आज मेरी जो हालत, नहीं सुधरना संभव भैया।
मन को इसीलिए कहता हूँ, दिल को थाम अरे रह जाओ,
बातें जो कुछ बीत चुकी हैं, मन से उनको दूर भगाओ।
भूत, भूत है,वर्तमान कभी नहीं वो हो सकता,
इन दोनों का मेल असंभव, एक न कभी भी वो हो सकता।
इसीलिए मन को तुम संभालो, भूल जाओ वे सारे रिश्ते,
करो भरोसा वर्तमान पर, और बना लो कुछ नए रिश्ते।
वर्तमान में जो भी सुलभ है, उसमें ही अब तुम रम जाओ।
वर्तमान को ही जीने का, अब केवल आधार बनाओ।
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