Vasant Vihin Mann

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Vasant Vihin Mann
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Vasant Vihin Mann

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अमन के चेहरे पर असीम वेदना दिखने लगी थी। आँखे कुछ ऐसी मानो
जबर्दस्ती ही आँसुओ के वेग को रोकन के प्रयास मे पलको से संघर्सरत
हो जिससे उसकी भंगिमाएं बन-बिगड़ रही थीं। आराध्या ने उसे ऐसे
हालात में देखकर भी कोई अलग से प्रतिक्रिया नहीं दी बल्कि अमन जो
एकटक उसे देखे जा रहा था, के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए
अपेक्षाकृत कड़ शब्दों में बोल उठी..... ”अब बोलोगे भी कुछ या यूँ ही
मिटटी के माधो बने रहोगे ?”.

Product Details

  • Format: Paperback, Ebook
  • Book Size:6.15 x 9.15
  • Total Pages:108 pages
  • Language:HINDI
  • ISBN:978-93-88256-26-1
  • Publication Date:January 1 ,1970

Product Description

अमन के चेहरे पर असीम वेदना दिखने लगी थी। आँखे कुछ ऐसी मानो
जबर्दस्ती ही आँसुओ के वेग को रोकन के प्रयास मे पलको से संघर्सरत
हो जिससे उसकी भंगिमाएं बन-बिगड़ रही थीं। आराध्या ने उसे ऐसे
हालात में देखकर भी कोई अलग से प्रतिक्रिया नहीं दी बल्कि अमन जो
एकटक उसे देखे जा रहा था, के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए
अपेक्षाकृत कड़ शब्दों में बोल उठी..... ”अब बोलोगे भी कुछ या यूँ ही
मिटटी के माधो बने रहोगे ?”.

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