Vidhyapati Ka Sondarya Bodh
कौशिकी से गणà¥à¤¡à¤•à¥€ तक 24 योजन लमà¥à¤¬à¥‡ और हिमालय से गंगा तक 16 योजन चौड़े à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— मिथिला को अपनी काकली से रसमगà¥à¤¨ करने वाले मैथिल कोकिल के गीतों ने देशकाल की सीमाओं को पार कर अपनी गूà¤à¤œ से बंगà¤à¥‚मि, असम, उतà¥à¤•à¤² पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ को à¤à¤‚कृत करते हà¥à¤ सà¥à¤¦à¥‚र बà¥à¤°à¤œ तक में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° पाया है।
आचारà¥à¤¯ हजारी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ ने हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ अपà¤à¤‚à¥à¤°à¤¶ का सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• विकास माना है इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ ने शृंगार संबंधी विविध पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ निरूपण के आधार पर अपने पदों का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ कर अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के बल पर हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ को समृदà¥à¤§ किया है।
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Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:239 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-49-0
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
कौशिकी से गणà¥à¤¡à¤•à¥€ तक 24 योजन लमà¥à¤¬à¥‡ और हिमालय से गंगा तक 16 योजन चौड़े à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— मिथिला को अपनी काकली से रसमगà¥à¤¨ करने वाले मैथिल कोकिल के गीतों ने देशकाल की सीमाओं को पार कर अपनी गूà¤à¤œ से बंगà¤à¥‚मि, असम, उतà¥à¤•à¤² पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ को à¤à¤‚कृत करते हà¥à¤ सà¥à¤¦à¥‚र बà¥à¤°à¤œ तक में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° पाया है।
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