Vichran By Sanjeev Kumar Choudhary
जूà¤à¤¤à¤¾ किसान
चिलचिलाती धूप, सूनी पगडंडी
दूर तक न दिखता आदमजात
दिखा तो à¤à¤• जोड़ी अधमरे से बैल
कांधे पर खींचते थोड़ा सा टूटा मरमà¥à¤®à¤¤ किया हल
घासफूस के कलेवे का चà¥à¤•à¤¾à¤¤à¥‡ मोल
उनके पीछे दिखा उमà¥à¤®à¥€à¤¦ से à¤à¤°à¤¾
पसीने से लथपथ जोर लगाता खेतिहर
कि धरती का सीना चीर
निकाल सके हम सबके लिठनिवाला
सूरज सिर पर था आ चला
सूखे होठों पर जीठफिरा
माथे से पांछते हà¥à¤ पसीना
बीच-बीच में निहारता पगडंडी को
महसूस कर रहा था बैलों की घंटी के थके सà¥à¤µà¤°
सहसा खिल जाती उसकी बांछें
पहचान दूर से ही ठूमकती अपनी नई नवेली को
कमर पर सधी गगरी और सर पर रखी पोटली को
पà¥à¤šà¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बैलों को कर देता जूआमà¥à¤•à¥à¤¤
तैयार कर परोस देता उनकी सानी
हाथ मà¥à¤à¤¹ धोने तक निकट आ चà¥à¤•à¥€ उसकी रानी
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¤—े मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨
हर लेते उसके दिन à¤à¤° के थकान
कौल बैठà¤à¤• दूजे के बरगद के नीचे
हौले से खà¥à¤²à¤¤à¥€ पोटली मानो कैसेरौल
अंदर समाठमोटी-मोटी रोटियाठअनमोल
मूठकी मार से कर पà¥à¤¯à¤¾à¤œ के दो टà¥à¤•à¤¡à¥‡à¤¼
हरी मिरà¥à¤š को गृहणी बाà¤à¤‚ हाथ में पकड़े
नमक तेल ही ले लेते सबà¥à¤œà¥€ का आकार
छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— उनका हो गया तैयार
कौर à¤à¤• दूजे को आगà¥à¤°à¤¹ कर खिलाते
छोटी-मोटी बातों के बीच ठहाके लगाते
तपती धूप घंटे à¤à¤° को बन गई चाà¤à¤¦à¤¨à¥€
दूर के किसी खेत से आई टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤° की आवाज
कर गई à¤à¤• हसीन से सपने का आगाज
हल बैल छोड़ अपना à¤à¥€ होगा à¤à¤• नया टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤°
पिछले साल ही समठलिया था
करà¥à¤œ पाने को बैंक बाबà¥à¤“ं का दसà¥à¤¤à¥‚र
पर किसà¥à¤®à¤¤ को था नहीं ये मंजूर
फसल तो हà¥à¤ˆ थी अचà¥à¤›à¥€
कटनी के बाद खेतों में कर रखी थी इकटà¥à¤ ी
आ गई बिन मौसम बरसात
और कर गई सब कà¥à¤› सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤¶
तंगहाली से परेशान टूटा बाबू जी का सबà¥à¤°
लटके मिले पेड़ से, खोदनी पड़ी कबà¥à¤°
नम आà¤à¤–ों को पोंछ नठसंकलà¥à¤ª के साथ
बोला थामकर अपनी घरवाली का हाथ
इस बार की मेहनत रंग लाà¤à¤—ी
खेतों में अपने फसल लहलहाà¤à¤—ी
बाजार में à¤à¥€ इस बार मिलेंगे अचà¥à¤›à¥‡ दाम
ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से बनेगा अपना काम
खà¥à¤¶à¥€-खà¥à¤¶à¥€ बीबी समेटने लगी पोटली
सपने संजोठहà¥à¤ à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥‡ को लौट ली
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Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:112 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-34-6
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
जूà¤à¤¤à¤¾ किसान
चिलचिलाती धूप, सूनी पगडंडी
दूर तक न दिखता आदमजात
दिखा तो à¤à¤• जोड़ी अधमरे से बैल
कांधे पर खींचते थोड़ा सा टूटा मरमà¥à¤®à¤¤ किया हल
घासफूस के कलेवे का चà¥à¤•à¤¾à¤¤à¥‡ मोल
उनके पीछे दिखा उमà¥à¤®à¥€à¤¦ से à¤à¤°à¤¾
पसीने से लथपथ जोर लगाता खेतिहर
कि धरती का सीना चीर
निकाल सके हम सबके लिठनिवाला
सूरज सिर पर था आ चला
सूखे होठों पर जीठफिरा
माथे से पांछते हà¥à¤ पसीना
बीच-बीच में निहारता पगडंडी को
महसूस कर रहा था बैलों की घंटी के थके सà¥à¤µà¤°
सहसा खिल जाती उसकी बांछें
पहचान दूर से ही ठूमकती अपनी नई नवेली को
कमर पर सधी गगरी और सर पर रखी पोटली को
पà¥à¤šà¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बैलों को कर देता जूआमà¥à¤•à¥à¤¤
तैयार कर परोस देता उनकी सानी
हाथ मà¥à¤à¤¹ धोने तक निकट आ चà¥à¤•à¥€ उसकी रानी
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¤—े मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨
हर लेते उसके दिन à¤à¤° के थकान
कौल बैठà¤à¤• दूजे के बरगद के नीचे
हौले से खà¥à¤²à¤¤à¥€ पोटली मानो कैसेरौल
अंदर समाठमोटी-मोटी रोटियाठअनमोल
मूठकी मार से कर पà¥à¤¯à¤¾à¤œ के दो टà¥à¤•à¤¡à¥‡à¤¼
हरी मिरà¥à¤š को गृहणी बाà¤à¤‚ हाथ में पकड़े
नमक तेल ही ले लेते सबà¥à¤œà¥€ का आकार
छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— उनका हो गया तैयार
कौर à¤à¤• दूजे को आगà¥à¤°à¤¹ कर खिलाते
छोटी-मोटी बातों के बीच ठहाके लगाते
तपती धूप घंटे à¤à¤° को बन गई चाà¤à¤¦à¤¨à¥€
दूर के किसी खेत से आई टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤° की आवाज
कर गई à¤à¤• हसीन से सपने का आगाज
हल बैल छोड़ अपना à¤à¥€ होगा à¤à¤• नया टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤°
पिछले साल ही समठलिया था
करà¥à¤œ पाने को बैंक बाबà¥à¤“ं का दसà¥à¤¤à¥‚र
पर किसà¥à¤®à¤¤ को था नहीं ये मंजूर
फसल तो हà¥à¤ˆ थी अचà¥à¤›à¥€
कटनी के बाद खेतों में कर रखी थी इकटà¥à¤ ी
आ गई बिन मौसम बरसात
और कर गई सब कà¥à¤› सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤¶
तंगहाली से परेशान टूटा बाबू जी का सबà¥à¤°
लटके मिले पेड़ से, खोदनी पड़ी कबà¥à¤°
नम आà¤à¤–ों को पोंछ नठसंकलà¥à¤ª के साथ
बोला थामकर अपनी घरवाली का हाथ
इस बार की मेहनत रंग लाà¤à¤—ी
खेतों में अपने फसल लहलहाà¤à¤—ी
बाजार में à¤à¥€ इस बार मिलेंगे अचà¥à¤›à¥‡ दाम
ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से बनेगा अपना काम
खà¥à¤¶à¥€-खà¥à¤¶à¥€ बीबी समेटने लगी पोटली
सपने संजोठहà¥à¤ à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥‡ को लौट ली
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