VIBHAJAN AUR HATYA
बेटा: हिंदुस्तान? अम्मी: हाँ हिंदुस्तान। तब ये जो अब है न पाकिस्तान। ये नहीं था। सब एक हिंदुस्तान में हंसी-खुशी रहते थे। लेकिन ऐसी सियासी हवा चली कि सब कुछ लुट गया। वो भी लुट गए और हम भी। पता नहीं इस बंटवारे से किसको फायदा हुआ? बेटा: बटवारा करवाया किसने अम्मी? अम्मी: कोई कहता है अंग्रेजों की फूट डाल कर राज करने की नीति ने करवाया। अंग्रेज़ कहते हैं जिन्ना की पाकिस्तान लेने की जिद की वजह से हुआ। जिन्ना इसका ठीकरा हिन्दुओं की मुस्लिम विरोधी नीतियों पर फोड़ता है। हिन्दू इसे गाँधी और नेहरु की मिली जुली राजनीतिक भगत को मानते हैं। बेटा: पर असल में कौन था? अम्मी: अब तुझे क्या बताऊँ बेटा! क्या करेगा उस पागलपन के बारे में जान कर जिसने सैंकड़ों सालों से एक ही पड़ोस में भाई-बहनों की तरह रहते लोगों को एक दूसरे का जानी दुश्मन बना दिया। बेटा: पर क्यों माँ? अम्मी: अब इस क्यों का जवाब तो इतिहास देगा। समय देगा। जब ये आग ठंडी पड़ेगी। लोग चेतेंगे तो वो भी पूछेंगे जो सरहद के उस पार हैं और हम भी कि ‘तू इधर-उधर की न बात कर। ये बता कि काफिला कैसे लुटा’। क्या बताऊँ किस-किस ने नोचा मेरे हिंदुस्तान को। जैसे शेरों का झुंड अपने शिकार को जिंदा नोचता है ऐसे ही हमने अपनी आँखों के सामने अपनी सरजमीं को नुचते देखा है।.
Product Details
- Format: Hardcopy
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:72 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-8119944194
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:June 19 ,2024
Product Description
बेटा: हिंदुस्तान? अम्मी: हाँ हिंदुस्तान। तब ये जो अब है न पाकिस्तान। ये नहीं था। सब एक हिंदुस्तान में हंसी-खुशी रहते थे। लेकिन ऐसी सियासी हवा चली कि सब कुछ लुट गया। वो भी लुट गए और हम भी। पता नहीं इस बंटवारे से किसको फायदा हुआ? बेटा: बटवारा करवाया किसने अम्मी? अम्मी: कोई कहता है अंग्रेजों की फूट डाल कर राज करने की नीति ने करवाया। अंग्रेज़ कहते हैं जिन्ना की पाकिस्तान लेने की जिद की वजह से हुआ। जिन्ना इसका ठीकरा हिन्दुओं की मुस्लिम विरोधी नीतियों पर फोड़ता है। हिन्दू इसे गाँधी और नेहरु की मिली जुली राजनीतिक भगत को मानते हैं। बेटा: पर असल में कौन था? अम्मी: अब तुझे क्या बताऊँ बेटा! क्या करेगा उस पागलपन के बारे में जान कर जिसने सैंकड़ों सालों से एक ही पड़ोस में भाई-बहनों की तरह रहते लोगों को एक दूसरे का जानी दुश्मन बना दिया। बेटा: पर क्यों माँ? अम्मी: अब इस क्यों का जवाब तो इतिहास देगा। समय देगा। जब ये आग ठंडी पड़ेगी। लोग चेतेंगे तो वो भी पूछेंगे जो सरहद के उस पार हैं और हम भी कि ‘तू इधर-उधर की न बात कर। ये बता कि काफिला कैसे लुटा’। क्या बताऊँ किस-किस ने नोचा मेरे हिंदुस्तान को। जैसे शेरों का झुंड अपने शिकार को जिंदा नोचता है ऐसे ही हमने अपनी आँखों के सामने अपनी सरजमीं को नुचते देखा है।.