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Svapn Vraksh
"हमारे चारों ओर व्यापक रूप से व्याप्त वस्तुगत सत्ता कुछ और नहीं,बल्कि वस्तुजगत की चेतना से उत्पन्न वह यथार्थ है जो वैयक्तिक और समष्टि के जीवन को यथार्थवाद के इयत्ता के तहत अभिव्यक्त करता है। साथ ही,इस वस्तुजगत के भीतर गतिशील समस्त क्रिया-व्यापार उसकी समष्टि का यथार्थ जब उसमें व्याप्त बिखराव, अस्तित्व- मूल्यहीनता, आंतरिक और बाह्य संघर्षों से उत्पन्न अंतर्विरोधों को एक संवेदनशील वैयक्तिक-चेतना अपनी छटपटाहट में अंगीकृत कर लेती है तो अनुभूतियों के यही व्यंजन भाषिक अर्थवेत्ता में परिवर्तित हो सृजन के माध्यम से अभिव्यक्त हो उठते हैं। इन्हीं अनुभूतियों की सृजनात्मक अभिव्यक्ति है मेरी यह पुस्तक,स्वप्न वृक्ष ।".
Product Details
- Format: Paperback
- Book Size:5.5 x 8.5
- Total Pages:214 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-9395482677
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:February 12 ,2025
Product Description
"हमारे चारों ओर व्यापक रूप से व्याप्त वस्तुगत सत्ता कुछ और नहीं,बल्कि वस्तुजगत की चेतना से उत्पन्न वह यथार्थ है जो वैयक्तिक और समष्टि के जीवन को यथार्थवाद के इयत्ता के तहत अभिव्यक्त करता है। साथ ही,इस वस्तुजगत के भीतर गतिशील समस्त क्रिया-व्यापार उसकी समष्टि का यथार्थ जब उसमें व्याप्त बिखराव, अस्तित्व- मूल्यहीनता, आंतरिक और बाह्य संघर्षों से उत्पन्न अंतर्विरोधों को एक संवेदनशील वैयक्तिक-चेतना अपनी छटपटाहट में अंगीकृत कर लेती है तो अनुभूतियों के यही व्यंजन भाषिक अर्थवेत्ता में परिवर्तित हो सृजन के माध्यम से अभिव्यक्त हो उठते हैं। इन्हीं अनुभूतियों की सृजनात्मक अभिव्यक्ति है मेरी यह पुस्तक,स्वप्न वृक्ष ।".