Shaill Shikhar Ki Chhanv Me

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Shaill Shikhar Ki Chhanv Me
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Shaill Shikhar Ki Chhanv Me

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‘शैल-शिखर की छाँव में’ एक यात्रा-वृत्तांत के रूप में पर्वतों, नदियों, झीलों, झरनों एवं गुफाओं की शब्द-यात्रा है । पुस्तक में पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं दक्षिण भारत के नयनाभिराम नैसर्गिक-सौंदर्य, स्थानीय-संस्कृति तथा रहन-सहन को रोमांचक यात्रा के माध्यम से बेहद खूबसूरती से साहित्य के साँचे में ढाला गया है । यात्रा के प्रसंग कहीं गुदगुदाते हैं, तो कहीं गम्भीर-चिन्तन के लिए विवश भी कर देते हैं । प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव संवेदनशील लेखक के अंदर बेचैनी पैदा करते हैं तो देश के विभिन्न क्षेत्रों की समृद्धिशाली, सांस्कृतिक विरासत उसे गौरवान्वित होने का अवसर भी प्रदान करती है । यह लेखक का सामर्थ्य है कि प्रथम पृष्ठ से लेकर अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने की त्वरा बनी रहती है । यात्रा के प्रति बेचैन परिन्दा-सा लेखक शैल से लेकर शिखर तक को अपनी बाँहों में भरकर उसकी स्नेहिल-छाया में मधुर विश्राम चाहता है ।.

Product Details

  • Format: Paperback
  • Book Size:5.5 x 8.5
  • Total Pages:253 pages
  • Language:HINDI
  • ISBN:978-9390707409
  • Publication Date:August 2 ,2021

Product Description

‘शैल-शिखर की छाँव में’ एक यात्रा-वृत्तांत के रूप में पर्वतों, नदियों, झीलों, झरनों एवं गुफाओं की शब्द-यात्रा है । पुस्तक में पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं दक्षिण भारत के नयनाभिराम नैसर्गिक-सौंदर्य, स्थानीय-संस्कृति तथा रहन-सहन को रोमांचक यात्रा के माध्यम से बेहद खूबसूरती से साहित्य के साँचे में ढाला गया है । यात्रा के प्रसंग कहीं गुदगुदाते हैं, तो कहीं गम्भीर-चिन्तन के लिए विवश भी कर देते हैं । प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव संवेदनशील लेखक के अंदर बेचैनी पैदा करते हैं तो देश के विभिन्न क्षेत्रों की समृद्धिशाली, सांस्कृतिक विरासत उसे गौरवान्वित होने का अवसर भी प्रदान करती है । यह लेखक का सामर्थ्य है कि प्रथम पृष्ठ से लेकर अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने की त्वरा बनी रहती है । यात्रा के प्रति बेचैन परिन्दा-सा लेखक शैल से लेकर शिखर तक को अपनी बाँहों में भरकर उसकी स्नेहिल-छाया में मधुर विश्राम चाहता है ।.

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