Palash Ke Phool
मà¥à¤¨à¥à¤¨à¥‚ दौड़ा-दौड़ा आया,
आकर माठसे वो फरमाया।
ममà¥à¤®à¥€ मà¥à¤à¤•à¥‹ पैसे दे दो, होली के रंग लाना है।
मिले नहीं गर पैसे मà¥à¤à¤•à¥‹,
कीचड़ की होली मनाना है।।
कà¥à¤› विचार था माठको सूà¤à¤¾,
चलो दिखाती तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ अजूबा।
फिर विचार कर माठने बोला,
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के संग चलो तà¥à¤® टोला।
टोले मे थी, खेतो की मेड़,
मेड के ऊपर पलाष के पेड़।
पेड़ लदे थे, फूलों से पीले,
बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, पर नही कà¤à¤Ÿà¥€à¤²à¥‡à¥¤à¥¤
फूलो को था सबने तोड़ा
घर की तरफ, अपना रूख मोड़ा।
घर आकर फूलों को सà¥à¤–ाया,
कूट पीस कर चूरà¥à¤£ बनाया।
माठने फिर कपड़छन करवाया,
सूखा पीला रंग सबने पाया।
सूखे रंग से खेली होली,
इक दूजे को तिलक लगाया।
ना थकान, ना हà¥à¤ˆ à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€,
होली में कà¥à¤› à¤à¥€ ना फरà¥à¤œà¥€ ।
à¤à¤¾à¤à¥€ के संग खà¥à¤· देवर जी,
à¤à¤¸à¥€ होली से, खà¥à¤· थे सर जी।
बचà¥à¤šà¥‹ ने बनाया, अब ये असूल,
नही करेंगे होली में à¤à¥‚ल।
दà¥à¤·à¥à¤®à¤¨ हमारे-कीचड़ धूल,
दोसà¥à¤¤ हमारे-â€à¤ªà¤²à¤¾à¤· के फूल“
.
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:65 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-93-88256-12-1
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
मà¥à¤¨à¥à¤¨à¥‚ दौड़ा-दौड़ा आया,
आकर माठसे वो फरमाया।
ममà¥à¤®à¥€ मà¥à¤à¤•à¥‹ पैसे दे दो, होली के रंग लाना है।
मिले नहीं गर पैसे मà¥à¤à¤•à¥‹,
कीचड़ की होली मनाना है।।
कà¥à¤› विचार था माठको सूà¤à¤¾,
चलो दिखाती तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ अजूबा।
फिर विचार कर माठने बोला,
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के संग चलो तà¥à¤® टोला।
टोले मे थी, खेतो की मेड़,
मेड के ऊपर पलाष के पेड़।
पेड़ लदे थे, फूलों से पीले,
बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, पर नही कà¤à¤Ÿà¥€à¤²à¥‡à¥¤à¥¤
फूलो को था सबने तोड़ा
घर की तरफ, अपना रूख मोड़ा।
घर आकर फूलों को सà¥à¤–ाया,
कूट पीस कर चूरà¥à¤£ बनाया।
माठने फिर कपड़छन करवाया,
सूखा पीला रंग सबने पाया।
सूखे रंग से खेली होली,
इक दूजे को तिलक लगाया।
ना थकान, ना हà¥à¤ˆ à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€,
होली में कà¥à¤› à¤à¥€ ना फरà¥à¤œà¥€ ।
à¤à¤¾à¤à¥€ के संग खà¥à¤· देवर जी,
à¤à¤¸à¥€ होली से, खà¥à¤· थे सर जी।
बचà¥à¤šà¥‹ ने बनाया, अब ये असूल,
नही करेंगे होली में à¤à¥‚ल।
दà¥à¤·à¥à¤®à¤¨ हमारे-कीचड़ धूल,
दोसà¥à¤¤ हमारे-â€à¤ªà¤²à¤¾à¤· के फूल“
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