Munshi Premchan ki shrashth kahaaniyaan
शहजादा दाराशिकोह शाहजहाठके बड़े बेटे थे और बाहà¥à¤¯ तथा आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से परिपूरà¥à¤£à¥¤ यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ वे थे तो वली अहद मगर साहिबे किरान सानी1 ने उनकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾, विशेषता, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ और कलातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ को देखकर वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप में पूरे सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ को सौंप रखी थी। वे अनà¥à¤¯ शहजादों की तरह समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सूबेदारी पर नियà¥à¤•à¥à¤¤ न किठजाते, वरनॠराजधानी में ही उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहते और अपने सहयोगियों की सहायता से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡à¥¤ खेद का विषय है कि यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ उनको योगà¥à¤¯, अनà¥à¤à¤µà¥€, गरà¥à¤µà¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤, आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाने के लिठवà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की पाठशाला में शिकà¥à¤·à¤¾ दी गई, लेकिन देश की जनता को उनकी ओर से कोई सà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ लाठनहीं हà¥à¤†à¥¤ इतिहासकारों का कथन है कि यदि औरंगजेब के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शहजादा दाराशिकोह को गदà¥à¤¦à¥€ मिलती तो हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤• बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ संयà¥à¤•à¥à¤¤ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ हो जाता। यह कथन हालांकि किसी सीमा तक à¤à¤• मानवीय गà¥à¤£ पर आधारित है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ लोग मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा किया करते हैं, फिर à¤à¥€ यह देखना बहà¥à¤¤ कठिन नहीं है कि इसमें सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ की à¤à¤²à¤• à¤à¥€ पाई जाती है। शहजादा दाराशिकोह अकबर का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ था। वह केवल नाम का ही अकबर दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ नहीं था, उसके विचार à¤à¥€ वैसे ही थे और उन विचारों को वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में लाने का तरीका à¤à¥€ बिलà¥à¤•à¥à¤² मिलता हà¥à¤† नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ उसके विचार अधिक रà¥à¤šà¤¿à¤•à¤° थे और उनको वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में लाने के तरीके, नियमों और सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में अधिक रà¥à¤šà¤¿à¥¤ उसकी गहन चिनà¥à¤¤à¤¨ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ ने देख लिया था कि हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ रूप से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का बना रहना समà¥à¤à¤µ नहीं जब तक कि हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में मेल-मिलाप और à¤à¤•à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नहीं हो जाती। वह à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ जानता था कि शकà¥à¤¤à¤¿ से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की जड़ नहीं जमती। सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ व नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के लिठयह आवशà¥à¤¯à¤• है कि शासकगण लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और सरल कानूनों से जनता के दिलों में घर कर लें। पतà¥à¤¥à¤° के मजबूत किलों के बदले दिलों में घर करना अधिक महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है और सेना के बदले जनता की मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ व जान छिड़कने पर अधिक à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करना आवशà¥à¤¯à¤• है। दाराशिकोह ने इन सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया था। उसने à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ रोचक तथा सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी थी जिसमें अकाटà¥à¤¯ तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ से यह सिदà¥à¤§ किया था कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से à¤à¤•à¤¤à¤¾ व संगठन पर आधारित है। .
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5.5 x 8.5
- Total Pages:99 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-81-94534-21-1
- Publication Date:July 6 ,2020
Product Description
शहजादा दाराशिकोह शाहजहाठके बड़े बेटे थे और बाहà¥à¤¯ तथा आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से परिपूरà¥à¤£à¥¤ यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ वे थे तो वली अहद मगर साहिबे किरान सानी1 ने उनकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾, विशेषता, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ और कलातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ को देखकर वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप में पूरे सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ को सौंप रखी थी। वे अनà¥à¤¯ शहजादों की तरह समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सूबेदारी पर नियà¥à¤•à¥à¤¤ न किठजाते, वरनॠराजधानी में ही उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहते और अपने सहयोगियों की सहायता से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡à¥¤ खेद का विषय है कि यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ उनको योगà¥à¤¯, अनà¥à¤à¤µà¥€, गरà¥à¤µà¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤, आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाने के लिठवà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की पाठशाला में शिकà¥à¤·à¤¾ दी गई, लेकिन देश की जनता को उनकी ओर से कोई सà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ लाठनहीं हà¥à¤†à¥¤ इतिहासकारों का कथन है कि यदि औरंगजेब के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शहजादा दाराशिकोह को गदà¥à¤¦à¥€ मिलती तो हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤• बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ संयà¥à¤•à¥à¤¤ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ हो जाता। यह कथन हालांकि किसी सीमा तक à¤à¤• मानवीय गà¥à¤£ पर आधारित है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ लोग मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा किया करते हैं, फिर à¤à¥€ यह देखना बहà¥à¤¤ कठिन नहीं है कि इसमें सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ की à¤à¤²à¤• à¤à¥€ पाई जाती है। शहजादा दाराशिकोह अकबर का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ था। वह केवल नाम का ही अकबर दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ नहीं था, उसके विचार à¤à¥€ वैसे ही थे और उन विचारों को वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में लाने का तरीका à¤à¥€ बिलà¥à¤•à¥à¤² मिलता हà¥à¤† नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ उसके विचार अधिक रà¥à¤šà¤¿à¤•à¤° थे और उनको वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में लाने के तरीके, नियमों और सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में अधिक रà¥à¤šà¤¿à¥¤ उसकी गहन चिनà¥à¤¤à¤¨ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ ने देख लिया था कि हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ रूप से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का बना रहना समà¥à¤à¤µ नहीं जब तक कि हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में मेल-मिलाप और à¤à¤•à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नहीं हो जाती। वह à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ जानता था कि शकà¥à¤¤à¤¿ से सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की जड़ नहीं जमती। सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ व नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के लिठयह आवशà¥à¤¯à¤• है कि शासकगण लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और सरल कानूनों से जनता के दिलों में घर कर लें। पतà¥à¤¥à¤° के मजबूत किलों के बदले दिलों में घर करना अधिक महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है और सेना के बदले जनता की मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ व जान छिड़कने पर अधिक à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करना आवशà¥à¤¯à¤• है। दाराशिकोह ने इन सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया था। उसने à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ रोचक तथा सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी थी जिसमें अकाटà¥à¤¯ तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ से यह सिदà¥à¤§ किया था कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से à¤à¤•à¤¤à¤¾ व संगठन पर आधारित है। .