Main Mauli Part-1
à¤à¤• अपरिचित धà¥à¤µà¤¨à¤¿ से शालिनी की नींद खà¥à¤²à¤² जाती है, उसे à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसे किसी ने उसका नाम लेकर बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ हो।वह हड़बड़ाकर बिसà¥à¤¤à¤° में बैठजाती है और आवाज की दिशा में कानों का पूरा जोर लगाकर सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ की कोशिश करती है...सिरहाने रखे महà¤à¤—े सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ फोन को ऑन कर समय देखती है जो रात के पौने दो होने का संकेत देता है। उसे कहीं दूर से किसी के करà¥à¤£ सà¥à¤° में गाने की असà¥à¤ªà¤¸à¥à¤Ÿ आवाज सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है। गीत के बोल में à¤à¤• अजीब सा आकरà¥à¤·à¤£ था, वह बाहर की ओर खà¥à¤²à¤¨à¥‡ वाली कमरे की खिड़की को खोलकर देखने की कोशिश करती है, लेकिन दूर तक कà¥à¤› नही, सिवाय काले कलूटे पà¥à¤°à¥‡à¤¤ की शकà¥à¤² के मानिंद लहराते पेड़ो के साये जो हवा के साथ बेतरतीव किसी शराबी की तरह à¤à¥‚म रहे थे। बाहर जल रहे बीमार बलà¥à¤¬ की पीली रौशनी में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर तक नहीं देखा जा सकता था। चारों ओर पसरा सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ और उस सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ की छाती चीरती ये जादà¥à¤ˆ असà¥à¤ªà¤¸à¥à¤Ÿ, करà¥à¤£ आवाज़ .... कौन है जो इतनी रात गये गा रहा है, गाने के बोल समठमें नही आ रहे थे लेकिन कानो के रासà¥à¤¤à¥‡ रूह तक उतर रहे थे। गीत के हर रà¥à¤•à¤¨ पर पूरा दम लगाकर जब वह सà¥à¤µà¤° खींचता था तो लगता था कि वह उचà¥à¤š सà¥à¤µà¤° से अपनी पà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥€ को बà¥à¤²à¤¾ रहा है जो बहà¥à¤¤ दूर आकाश के पार बैठी है, गले में कितना सोज़ है.... गीत के हर बोल में कितनी तड़फ है...कितनी वेदना है जो अकà¥à¤·à¤° अकà¥à¤·à¤° गीत के बोल में फूटकर, निरà¥à¤œà¤¨ और सोयी निशा को जगाने की कोशिश कर रही है। फिर à¤à¤•à¤¾à¤à¤• गाने की आवाज आनी बनà¥à¤¦ हो जाती है। उसकी जगह सिसकियां à¤à¤°à¤¨à¥‡ की आवाज शालिनी को सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देने लगते है उसकी नींद उड़ चà¥à¤•à¥€ थी, वह खट से खिड़की बंद कर पà¥à¤¨à¤ƒ मोबाइल ऑन करके समय देखती है। दो बजने में कà¥à¤› मिनट शेष है, वह दोबारा सोने की कोशिश करती है, लेकिन कोशिश करने से या बिसà¥à¤¤à¤° में लेट जाने à¤à¤° से कà¤à¥€ नींद नहीं ती है। नींद तà¤à¥€ आती है जब मन मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• दोनों शांत हो। इस आवाज ने उसे समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कर लिया था..वह इंतज़ार में थी के वह दोबारा फिर से गाये...लेकिन दोबारा गाने की आवाज सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ नहीं दी...शायद अब वह नहीं गा रहा है, अथवा बह रही हवाओ ने सà¥à¤° का मà¥à¤à¤¹ फेर दिया होगा। जो à¤à¥€ हो....इतनी रात गये कोई सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस तरह नहीं गा सकता, ये कोई पà¥à¤¯à¤¾à¤° में गहरी चोट खाये किसी दिल की सदा हो सकती है.....शालिनी ने अपनी रूम मेट आशॠसे सà¥à¤¨ रखा था कि जब कोई दिल टूटता है..तब बहà¥à¤¤ जोर की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ करता है। चीखता चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ है, कà¥à¤°à¤‚दन करता है, लेकिन किसी किसी को ही दिल की ये सदाà¤à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है, हर किसी को नही।। तो कà¥à¤¯à¤¾ इस गायक की आरà¥à¤¤à¤¨à¤¾à¤¦ मै ही सà¥à¤¨ पा रही हूà¤? और कोई नही? शालिनी की रूम मेट आशॠपई मूल रूप से केरला की रहने वाली है...उसके पेरेंटà¥à¤¸ पचà¥à¤šà¥€à¤¸ साल पहले ही दिलà¥à¤²à¥€ आकर शिपà¥à¤Ÿ हो गये थे...इस तरह से आशॠदकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ की निवासी हो गई थी।वह और शालिनी दोनों à¤à¤®à¥à¤¸ में à¤à¤®.à¤à¤¸. अंतिम वरà¥à¤· के सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट थे। लासà¥à¤Ÿ सेमिà¤à¤¸à¥à¤Ÿà¤° के à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® हो गये थे, इसलिये शालिनी अपने पेरेंटà¥à¤¸ के पास आ गई थी।शालिनी के पिता राषà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ बैंक में पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤• थे। शालिनी ने इस बार सोच रखा था कि वह माठको साथ लेकर नाना नानी के यहाठगाà¤à¤µ जायेगी, बहà¥à¤¤ सालों से उसने गाà¤à¤µ नही देखा था....सफर के दौरान जब à¤à¥€ उसकी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ किसी गांव के नज़दीक से दौड़ती थी, तो उसे आस पास के हरे à¤à¤°à¥‡ फसलों से लहलहाते खेत बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ लगते थे। शालिनी का मन खेतों के साथ और जिसà¥à¤® टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के साथ सफर करता था। इस बार शालिनी का पà¥à¤°à¥€ पà¥à¤²à¤¾à¤¨ था कि मामा के यहाठगाà¤à¤µ जायेगी। नाना नानी तो रहे नही, लेकिन मामा का पà¥à¤¯à¤¾à¤° दà¥à¤²à¤¾à¤° किसी हालत में नाना नानी से कम नही था। आज दोपहर ही शालिनी और उसकी माठको डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° गांव छोड़ कर गया था।.
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:146 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-83-4
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
à¤à¤• अपरिचित धà¥à¤µà¤¨à¤¿ से शालिनी की नींद खà¥à¤²à¤² जाती है, उसे à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसे किसी ने उसका नाम लेकर बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ हो।वह हड़बड़ाकर बिसà¥à¤¤à¤° में बैठजाती है और आवाज की दिशा में कानों का पूरा जोर लगाकर सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ की कोशिश करती है...सिरहाने रखे महà¤à¤—े सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ फोन को ऑन कर समय देखती है जो रात के पौने दो होने का संकेत देता है। उसे कहीं दूर से किसी के करà¥à¤£ सà¥à¤° में गाने की असà¥à¤ªà¤¸à¥à¤Ÿ आवाज सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है। गीत के बोल में à¤à¤• अजीब सा आकरà¥à¤·à¤£ था, वह बाहर की ओर खà¥à¤²à¤¨à¥‡ वाली कमरे की खिड़की को खोलकर देखने की कोशिश करती है, लेकिन दूर तक कà¥à¤› नही, सिवाय काले कलूटे पà¥à¤°à¥‡à¤¤ की शकà¥à¤² के मानिंद लहराते पेड़ो के साये जो हवा के साथ बेतरतीव किसी शराबी की तरह à¤à¥‚म रहे थे। बाहर जल रहे बीमार बलà¥à¤¬ की पीली रौशनी में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर तक नहीं देखा जा सकता था। चारों ओर पसरा सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ और उस सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ की छाती चीरती ये जादà¥à¤ˆ असà¥à¤ªà¤¸à¥à¤Ÿ, करà¥à¤£ आवाज़ .... कौन है जो इतनी रात गये गा रहा है, गाने के बोल समठमें नही आ रहे थे लेकिन कानो के रासà¥à¤¤à¥‡ रूह तक उतर रहे थे। गीत के हर रà¥à¤•à¤¨ पर पूरा दम लगाकर जब वह सà¥à¤µà¤° खींचता था तो लगता था कि वह उचà¥à¤š सà¥à¤µà¤° से अपनी पà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥€ को बà¥à¤²à¤¾ रहा है जो बहà¥à¤¤ दूर आकाश के पार बैठी है, गले में कितना सोज़ है.... गीत के हर बोल में कितनी तड़फ है...कितनी वेदना है जो अकà¥à¤·à¤° अकà¥à¤·à¤° गीत के बोल में फूटकर, निरà¥à¤œà¤¨ और सोयी निशा को जगाने की कोशिश कर रही है। फिर à¤à¤•à¤¾à¤à¤• गाने की आवाज आनी बनà¥à¤¦ हो जाती है। उसकी जगह सिसकियां à¤à¤°à¤¨à¥‡ की आवाज शालिनी को सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देने लगते है उसकी नींद उड़ चà¥à¤•à¥€ थी, वह खट से खिड़की बंद कर पà¥à¤¨à¤ƒ मोबाइल ऑन करके समय देखती है। दो बजने में कà¥à¤› मिनट शेष है, वह दोबारा सोने की कोशिश करती है, लेकिन कोशिश करने से या बिसà¥à¤¤à¤° में लेट जाने à¤à¤° से कà¤à¥€ नींद नहीं ती है। नींद तà¤à¥€ आती है जब मन मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• दोनों शांत हो। इस आवाज ने उसे समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कर लिया था..वह इंतज़ार में थी के वह दोबारा फिर से गाये...लेकिन दोबारा गाने की आवाज सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ नहीं दी...शायद अब वह नहीं गा रहा है, अथवा बह रही हवाओ ने सà¥à¤° का मà¥à¤à¤¹ फेर दिया होगा। जो à¤à¥€ हो....इतनी रात गये कोई सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस तरह नहीं गा सकता, ये कोई पà¥à¤¯à¤¾à¤° में गहरी चोट खाये किसी दिल की सदा हो सकती है.....शालिनी ने अपनी रूम मेट आशॠसे सà¥à¤¨ रखा था कि जब कोई दिल टूटता है..तब बहà¥à¤¤ जोर की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ करता है। चीखता चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ है, कà¥à¤°à¤‚दन करता है, लेकिन किसी किसी को ही दिल की ये सदाà¤à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है, हर किसी को नही।। तो कà¥à¤¯à¤¾ इस गायक की आरà¥à¤¤à¤¨à¤¾à¤¦ मै ही सà¥à¤¨ पा रही हूà¤? और कोई नही? शालिनी की रूम मेट आशॠपई मूल रूप से केरला की रहने वाली है...उसके पेरेंटà¥à¤¸ पचà¥à¤šà¥€à¤¸ साल पहले ही दिलà¥à¤²à¥€ आकर शिपà¥à¤Ÿ हो गये थे...इस तरह से आशॠदकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ की निवासी हो गई थी।वह और शालिनी दोनों à¤à¤®à¥à¤¸ में à¤à¤®.à¤à¤¸. अंतिम वरà¥à¤· के सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट थे। लासà¥à¤Ÿ सेमिà¤à¤¸à¥à¤Ÿà¤° के à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® हो गये थे, इसलिये शालिनी अपने पेरेंटà¥à¤¸ के पास आ गई थी।शालिनी के पिता राषà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ बैंक में पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤• थे। शालिनी ने इस बार सोच रखा था कि वह माठको साथ लेकर नाना नानी के यहाठगाà¤à¤µ जायेगी, बहà¥à¤¤ सालों से उसने गाà¤à¤µ नही देखा था....सफर के दौरान जब à¤à¥€ उसकी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ किसी गांव के नज़दीक से दौड़ती थी, तो उसे आस पास के हरे à¤à¤°à¥‡ फसलों से लहलहाते खेत बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ लगते थे। शालिनी का मन खेतों के साथ और जिसà¥à¤® टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के साथ सफर करता था। इस बार शालिनी का पà¥à¤°à¥€ पà¥à¤²à¤¾à¤¨ था कि मामा के यहाठगाà¤à¤µ जायेगी। नाना नानी तो रहे नही, लेकिन मामा का पà¥à¤¯à¤¾à¤° दà¥à¤²à¤¾à¤° किसी हालत में नाना नानी से कम नही था। आज दोपहर ही शालिनी और उसकी माठको डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° गांव छोड़ कर गया था।.