Kuchh Hindi Kuch Bundeli Gazale
जिस में अपना श्रम लगता है।
फिर वह मार्ग सुगम लगता है।
इस दुनिया में, अपना हिस्सा,
सब को सब से कम लगता है।
इतना प्यार, करो मत मुझ से,
ज्यादा प्यार सितम लगता है।
सब कहते हैं, शोला तुझ को,
मुझ को तू शबनम लगता है।
देख "प्रेम" दुनिया की पीड़ा,
अपना ही गम, कम लगता है।
.
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:121 pages
- Language:Hindi, Bundeli
- ISBN:978-93-88256-92-6
- Publication Date:September 2 ,2020
Product Description
जिस में अपना श्रम लगता है।
फिर वह मार्ग सुगम लगता है।
इस दुनिया में, अपना हिस्सा,
सब को सब से कम लगता है।
इतना प्यार, करो मत मुझ से,
ज्यादा प्यार सितम लगता है।
सब कहते हैं, शोला तुझ को,
मुझ को तू शबनम लगता है।
देख "प्रेम" दुनिया की पीड़ा,
अपना ही गम, कम लगता है।
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