Kaal ke thapede aur jeevan naiya

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Kaal ke thapede aur jeevan naiya
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Kaal ke thapede aur jeevan naiya

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मेरी पुस्तक काल के थपेड़े और जीवन नैया दक्षिणी बिहार के गया के पास के गांव के आंचलिक विकास के साथ प्रारंभ होती है।यह लगभग एक शताब्दी का निष्पक्ष विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें एक निम्न मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्म के साथ शिक्षा-दीक्षा,पारिवारिक परिवेश , अर्थव्यवस्था, बदलते संस्कार और परंपराओ एवं स्थापित रूढ़ियों के साथ सतत संघर्ष करने को बाध्य लेखक की जीवन यात्रा की मार्मिक कहानी है। नित नवीन अनुभूतियों एवं संवेदनाओ के साथ जूझता हुआ आज भी समाज को उसका दाय लौटाने को सहर्ष प्रस्तुत है ।आशा है ,पूर्ण विश्वास है आप भी मेरे साथ कभी सीसकेंगे, कभी रोएंगे, कभी हसेंगे, पर न थकेंगे ,न रूकेंगे अपना प्राप्य लेकर रहेंगे।.

Product Details

  • Format: Paperback
  • Book Size:8.5 x 11
  • Total Pages:173 pages
  • Language:HINDI
  • ISBN:978-9364310048
  • Paper Type:PAPERBACK
  • Publication Date:July 1 ,2024

Product Description

मेरी पुस्तक काल के थपेड़े और जीवन नैया दक्षिणी बिहार के गया के पास के गांव के आंचलिक विकास के साथ प्रारंभ होती है।यह लगभग एक शताब्दी का निष्पक्ष विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें एक निम्न मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्म के साथ शिक्षा-दीक्षा,पारिवारिक परिवेश , अर्थव्यवस्था, बदलते संस्कार और परंपराओ एवं स्थापित रूढ़ियों के साथ सतत संघर्ष करने को बाध्य लेखक की जीवन यात्रा की मार्मिक कहानी है। नित नवीन अनुभूतियों एवं संवेदनाओ के साथ जूझता हुआ आज भी समाज को उसका दाय लौटाने को सहर्ष प्रस्तुत है ।आशा है ,पूर्ण विश्वास है आप भी मेरे साथ कभी सीसकेंगे, कभी रोएंगे, कभी हसेंगे, पर न थकेंगे ,न रूकेंगे अपना प्राप्य लेकर रहेंगे।.

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