Jeevan Sandhya
उस दिन मतगणना विà¤à¤¾à¤— के मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अधिकारी देवाशीष सरकार अपनी निजी केबिन में उलà¤à¤¨ à¤à¤°à¥€ नज़रों से अपनी मेज पर रखे आवेदन पतà¥à¤° के साथ दूसरे मेडिकल पेपरों को देखते रहे! कà¤à¥€ सामने à¤à¤• ग़रीब, लाचार से नौजवान को गंदे, फटे कपड़ों में घूरते हà¥à¤ बोले, ‘‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ नाम कà¥à¤¯à¤¾ है?’’ नौजवान ‘‘सर अजय जैन!’’ सरकार ने पूछा, ‘‘समीर राणे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ लगता है?’’ अजय, ‘‘सर वो मेरे मामा हैं।’’ सरकार ने हैरानी से पूछा, ‘‘तà¥à¤® जैन और वो राणे...? वो तो महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¨ है।’’ अजय, ‘‘सर... मेरी माठने जैन घराने में शादी की थी।’’ à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ मौन रहने के बाद सरकार अपना माथा सहलाते हà¥à¤ बोले, ‘‘देखो नौजवान, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ मामा गमà¥à¤à¥€à¤° बीमारी के ईलाज के लिठमदà¥à¤°à¤¾à¤¸ चला गयाठहम उसकी जगह तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ नौकरी पर नहीं रख सकते!’’ अजय, ‘‘सर! मà¥à¤à¥‡ नौकरी नहीं, कोई à¤à¥€ काम चाहि उनकी जगह मैं सारा काम करà¥à¤à¤—ा।’’ सरकार, ‘‘ये नहीं हो सकता! अजय, ‘‘सर मैं आपकी परेशानी समठसकता हूà¤à¥¤ मगर सोचिठचà¥à¤¨à¤¾à¤µ नजदीक है और सà¥à¤¨à¤¾ है आपका काम à¤à¥€ पूरा नहीं हà¥à¤† है। अब मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤®à¤‰à¤šà¤µà¤¤à¤² तो आप रख सकते हैं?’’ सरकार (सोचकर), ‘‘हाठये तो हो सकता है, मगर पगार कम मिलेगी।’’ अजय, ‘‘सर इतनी कृपा करें, जरूरत पड़ी तो ऑफिस में à¤à¤¾à¥œà¥‚ लगाने को à¤à¥€ तैयार हूà¤à¥¤â€™â€™ सरकार, ‘‘ओ.के.। वो बाद में देख लेंगे, कल से तà¥à¤® आ जाओ। जरूरत पड़ी तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाहर के काम से à¤à¥€ जाना पड़ सकता है।’’ अजय, ‘‘मà¥à¤à¥‡ कोई à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ नहीं है।’’ अजय ने खà¥à¤¶ होकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और वहाठसे चल पड़ा। .
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5.5 x 8.5
- Total Pages:109 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-90229-14-7
- Publication Date:September 2 ,2020
Product Description
उस दिन मतगणना विà¤à¤¾à¤— के मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अधिकारी देवाशीष सरकार अपनी निजी केबिन में उलà¤à¤¨ à¤à¤°à¥€ नज़रों से अपनी मेज पर रखे आवेदन पतà¥à¤° के साथ दूसरे मेडिकल पेपरों को देखते रहे! कà¤à¥€ सामने à¤à¤• ग़रीब, लाचार से नौजवान को गंदे, फटे कपड़ों में घूरते हà¥à¤ बोले, ‘‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ नाम कà¥à¤¯à¤¾ है?’’ नौजवान ‘‘सर अजय जैन!’’ सरकार ने पूछा, ‘‘समीर राणे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ लगता है?’’ अजय, ‘‘सर वो मेरे मामा हैं।’’ सरकार ने हैरानी से पूछा, ‘‘तà¥à¤® जैन और वो राणे...? वो तो महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¨ है।’’ अजय, ‘‘सर... मेरी माठने जैन घराने में शादी की थी।’’ à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ मौन रहने के बाद सरकार अपना माथा सहलाते हà¥à¤ बोले, ‘‘देखो नौजवान, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ मामा गमà¥à¤à¥€à¤° बीमारी के ईलाज के लिठमदà¥à¤°à¤¾à¤¸ चला गयाठहम उसकी जगह तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ नौकरी पर नहीं रख सकते!’’ अजय, ‘‘सर! मà¥à¤à¥‡ नौकरी नहीं, कोई à¤à¥€ काम चाहि उनकी जगह मैं सारा काम करà¥à¤à¤—ा।’’ सरकार, ‘‘ये नहीं हो सकता! अजय, ‘‘सर मैं आपकी परेशानी समठसकता हूà¤à¥¤ मगर सोचिठचà¥à¤¨à¤¾à¤µ नजदीक है और सà¥à¤¨à¤¾ है आपका काम à¤à¥€ पूरा नहीं हà¥à¤† है। अब मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤®à¤‰à¤šà¤µà¤¤à¤² तो आप रख सकते हैं?’’ सरकार (सोचकर), ‘‘हाठये तो हो सकता है, मगर पगार कम मिलेगी।’’ अजय, ‘‘सर इतनी कृपा करें, जरूरत पड़ी तो ऑफिस में à¤à¤¾à¥œà¥‚ लगाने को à¤à¥€ तैयार हूà¤à¥¤â€™â€™ सरकार, ‘‘ओ.के.। वो बाद में देख लेंगे, कल से तà¥à¤® आ जाओ। जरूरत पड़ी तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाहर के काम से à¤à¥€ जाना पड़ सकता है।’’ अजय, ‘‘मà¥à¤à¥‡ कोई à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ नहीं है।’’ अजय ने खà¥à¤¶ होकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और वहाठसे चल पड़ा। .