Khaab Mere Bhatakte Rahe

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Khaab Mere Bhatakte Rahe
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Khaab Mere Bhatakte Rahe

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यूं देखने में देखिये बेहद ज़हीन हैं
खुदगर्ज़ मगर हैं बहुत ज़ाहिल कमींन हैं

पढ़ लिख गए तो और भी ऐय्यार हो गए
ये बात और है कि ये अब भी कुलीन हैं

अपने तमाम ऐब नहीं दिख रहे इन्हें
पर दूसरों के वास्ते ये दूरबीन हैं

ये टूटकर भी आज तक ज़िंदा बने हुए
सारे हमारे ख्वाब बहुत ही हसींन हैं

जो हमको मुददतों से दगा दे रहे सुगम
अब भी उन्हीं के वास्ते अपने यकीन हैं
.

Product Details

  • Format: Paperback, Ebook
  • Book Size:5 x 8
  • Total Pages:120 pages
  • Language:Hindi
  • ISBN:978-93-88256-57-5
  • Publication Date:January 1 ,1970

Product Description

यूं देखने में देखिये बेहद ज़हीन हैं
खुदगर्ज़ मगर हैं बहुत ज़ाहिल कमींन हैं

पढ़ लिख गए तो और भी ऐय्यार हो गए
ये बात और है कि ये अब भी कुलीन हैं

अपने तमाम ऐब नहीं दिख रहे इन्हें
पर दूसरों के वास्ते ये दूरबीन हैं

ये टूटकर भी आज तक ज़िंदा बने हुए
सारे हमारे ख्वाब बहुत ही हसींन हैं

जो हमको मुददतों से दगा दे रहे सुगम
अब भी उन्हीं के वास्ते अपने यकीन हैं
.

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