Satyasharad Sanhita
सतà¥à¤¯à¤¶à¤°à¤¦ सहिंता कहानी है...सतà¥à¤¯ के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की और शरद की शीतलता की...कि कैसे इन दोनों ने ‘अरà¥à¤¶ से फ़लक’ तक का सफ़र तय किया...मैं सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ की à¤à¤°à¤ªà¥‚र कोशिश करूà¤à¤—ी...कि कैसे ये दोनों अपने घर से खाली हाथ निकले और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ तक के सामाजिक-सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ राजनीतिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अपने शिखर तक पहà¥à¤‚चे...
लेकिन यह कहानी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯ की ही है...जिसमें शबà¥à¤¦à¤¶à¤ƒ सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ ही वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अपने नाम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वे आजीवन सूरज की à¤à¤¾à¤‚ति कठोर सतà¥à¤¯ को ही परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करते रहे हैं...जिसमें पूरी तलà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ से अपना धरà¥à¤® समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ शारदा ने चाà¤à¤¦ की à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वही तो हैं, जिनकी शीतलता के कारण आज ये “सतà¥à¤¯à¤¶à¤°à¤¦ सहिंता†बन पाई हैं, वरना सतà¥à¤¯ की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में कहाठकà¥à¤› टिक पाता है, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯ à¤à¥€ अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बचाने की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ करता दिखाई पड़ता है...कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसकी तपिश यथारà¥à¤¥ जीवन को पिघलाकर रख देती है...बेशक सूरज की ऊषà¥à¤®à¤¾ अपने शिखर पर जा पहà¥à¤‚चे, और धूप से सराबोर कर दे जीवन को...लेकिन चाà¤à¤¦ की शीतलता के कारण ही जीवन जीवित रह पाता है, सà¥à¤¥à¤¿à¤° रह पाता है...यह चाà¤à¤¦ ही तो है, जो मन को सà¥à¤¥à¤¿à¤° रखता है...रात में चाà¤à¤¦ देखकर ही आदमी ज़िंदगी को जिंदा करने के लिये सपने बà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है...
जैसे सूरज और चाà¤à¤¦ दोनों की à¤à¤¾à¤—ेदारी है जीवन को बनाये रखने में, उसी तरह सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ शरद दोनों à¤à¤• दूसरे के पूरक हैं...सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– के सहà¤à¤¾à¤—ी हैं...अपनी कठोर जीवन-यातà¥à¤°à¤¾ के सहचर हैं...जिसमें आगे वाले पहिये पर यदि आगे बà¥à¤¨à¥‡ का उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ है, रासà¥à¤¤à¤¾ बनाने की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ है और गाड़ी के लिठईंधन उपलबà¥à¤§ करने की चिंता है... तो पीछे वाले पहिये पर पूरी गाड़ी का à¤à¤¾à¤° है, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आगे वाले पहिये को सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ की ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है...और जीवन रà¥à¤ªà¥€ गाड़ी का संतà¥à¤²à¤¨ बनाये रखने की कशमकश है...शायद इसीलिठपापा ने à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखा था, जिसका नाम है...“पूनम का चाà¤à¤¦ और जगमगाते सितारेâ€...लेकिन जीवन की आपा-धापी में वह अपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ही रह गया है...
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Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:206 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-9390707140
- Publication Date:April 16 ,2021
Product Description
सतà¥à¤¯à¤¶à¤°à¤¦ सहिंता कहानी है...सतà¥à¤¯ के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की और शरद की शीतलता की...कि कैसे इन दोनों ने ‘अरà¥à¤¶ से फ़लक’ तक का सफ़र तय किया...मैं सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ की à¤à¤°à¤ªà¥‚र कोशिश करूà¤à¤—ी...कि कैसे ये दोनों अपने घर से खाली हाथ निकले और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ तक के सामाजिक-सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ राजनीतिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अपने शिखर तक पहà¥à¤‚चे...
लेकिन यह कहानी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯ की ही है...जिसमें शबà¥à¤¦à¤¶à¤ƒ सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ ही वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अपने नाम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वे आजीवन सूरज की à¤à¤¾à¤‚ति कठोर सतà¥à¤¯ को ही परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करते रहे हैं...जिसमें पूरी तलà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ से अपना धरà¥à¤® समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ शारदा ने चाà¤à¤¦ की à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वही तो हैं, जिनकी शीतलता के कारण आज ये “सतà¥à¤¯à¤¶à¤°à¤¦ सहिंता†बन पाई हैं, वरना सतà¥à¤¯ की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में कहाठकà¥à¤› टिक पाता है, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯ à¤à¥€ अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बचाने की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ करता दिखाई पड़ता है...कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसकी तपिश यथारà¥à¤¥ जीवन को पिघलाकर रख देती है...बेशक सूरज की ऊषà¥à¤®à¤¾ अपने शिखर पर जा पहà¥à¤‚चे, और धूप से सराबोर कर दे जीवन को...लेकिन चाà¤à¤¦ की शीतलता के कारण ही जीवन जीवित रह पाता है, सà¥à¤¥à¤¿à¤° रह पाता है...यह चाà¤à¤¦ ही तो है, जो मन को सà¥à¤¥à¤¿à¤° रखता है...रात में चाà¤à¤¦ देखकर ही आदमी ज़िंदगी को जिंदा करने के लिये सपने बà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है...
जैसे सूरज और चाà¤à¤¦ दोनों की à¤à¤¾à¤—ेदारी है जीवन को बनाये रखने में, उसी तरह सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ शरद दोनों à¤à¤• दूसरे के पूरक हैं...सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– के सहà¤à¤¾à¤—ी हैं...अपनी कठोर जीवन-यातà¥à¤°à¤¾ के सहचर हैं...जिसमें आगे वाले पहिये पर यदि आगे बà¥à¤¨à¥‡ का उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ है, रासà¥à¤¤à¤¾ बनाने की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ है और गाड़ी के लिठईंधन उपलबà¥à¤§ करने की चिंता है... तो पीछे वाले पहिये पर पूरी गाड़ी का à¤à¤¾à¤° है, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आगे वाले पहिये को सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ की ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है...और जीवन रà¥à¤ªà¥€ गाड़ी का संतà¥à¤²à¤¨ बनाये रखने की कशमकश है...शायद इसीलिठपापा ने à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखा था, जिसका नाम है...“पूनम का चाà¤à¤¦ और जगमगाते सितारेâ€...लेकिन जीवन की आपा-धापी में वह अपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ही रह गया है...
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