Bhatkataia
मेरी चर्चित आत्मकथा नागफनी के बाद भटकटैया मेरी दूसरी आत्मवम्शा है. मैंने नागफनी में अपने ववपन से लेकर सस्कारी अधिकारी चनने तक के संघर्ष का जिक्र किया था. ग्रामीण भारत में किस तरह जातिवाद, असमानता, हुआछूत और वेगार प्रथा फैली हुयी थी जिसके विरुद्ध संघर्ष किया था. अंध-विश्वाश और धार्मिक पाखंड के खिलाफ जोरटार उंग से लड़ा था और कामयाब भी हुआ था. .
Product Details
- Format: Paperback
- Book Size:8.5 x 11
- Total Pages:154 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-9364311298
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:September 18 ,2024
Product Description
मेरी चर्चित आत्मकथा नागफनी के बाद भटकटैया मेरी दूसरी आत्मवम्शा है. मैंने नागफनी में अपने ववपन से लेकर सस्कारी अधिकारी चनने तक के संघर्ष का जिक्र किया था. ग्रामीण भारत में किस तरह जातिवाद, असमानता, हुआछूत और वेगार प्रथा फैली हुयी थी जिसके विरुद्ध संघर्ष किया था. अंध-विश्वाश और धार्मिक पाखंड के खिलाफ जोरटार उंग से लड़ा था और कामयाब भी हुआ था. .