Kachchee Tikiya
मदन खिड़की की हथेली पर ठोरी टिकाये अपनी गहरी नज़र से चाà¤à¤¦ को कसकर पकड़े हà¥à¤ था| रात ने जैसे ही आसमान में अपना बिसà¥à¤¤à¤° बिछाया सोलन à¤à¤µà¤¨ के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ अपने अपने बिसà¥à¤¤à¤° में जा दà¥à¤¬à¤•à¥‡ पर आठबरस के मासà¥à¤Ÿà¤° मदन की नींद न जाने जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ के कौन से चौराहे पर जा रà¥à¤•à¥€ थी। माठकी हलकी-फà¥à¤²à¥à¤•à¥€ मीठी सी डांट बहà¥à¤¤ चाह कर à¤à¥€ वहां न पहà¥à¤à¤š पाई, पर बाबूजी का लाठी उठाने का मातà¥à¤° इशारा à¤à¤° इतना कारसाज़ निकला की घड़ी की सूई के à¤à¤• कदम बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ से पहले ही मदन बिसà¥à¤¤à¤° में जा पहà¥à¤‚चा, à¤à¤¸à¤¾ लगा की मानो वो फिर से अपनी माठकी कोख में जा बैठा हो| .
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5.5 x 8.5
- Total Pages:98 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-90229-11-6
- Publication Date:September 25 ,2020
Product Description
मदन खिड़की की हथेली पर ठोरी टिकाये अपनी गहरी नज़र से चाà¤à¤¦ को कसकर पकड़े हà¥à¤ था| रात ने जैसे ही आसमान में अपना बिसà¥à¤¤à¤° बिछाया सोलन à¤à¤µà¤¨ के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ अपने अपने बिसà¥à¤¤à¤° में जा दà¥à¤¬à¤•à¥‡ पर आठबरस के मासà¥à¤Ÿà¤° मदन की नींद न जाने जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ के कौन से चौराहे पर जा रà¥à¤•à¥€ थी। माठकी हलकी-फà¥à¤²à¥à¤•à¥€ मीठी सी डांट बहà¥à¤¤ चाह कर à¤à¥€ वहां न पहà¥à¤à¤š पाई, पर बाबूजी का लाठी उठाने का मातà¥à¤° इशारा à¤à¤° इतना कारसाज़ निकला की घड़ी की सूई के à¤à¤• कदम बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ से पहले ही मदन बिसà¥à¤¤à¤° में जा पहà¥à¤‚चा, à¤à¤¸à¤¾ लगा की मानो वो फिर से अपनी माठकी कोख में जा बैठा हो| .