Apno Se Door Apno ke Paas
अपनों से दूर- अपनों के पास हमारे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ का ठिकाना नहीं रहा जब हमने चाà¤à¤¦ से लाई गई à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ देखने को मिलीं, जिसे हमने हाथ से छà¥à¤† । हम वाकई गदगद थे । कà¥à¤› और । चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¥€ वहाठरखी गई थी जो अंतरिकà¥à¤· से à¤à¥‚मि पर आ गिरी थी । हमने उनके साथ फोटो साà¤à¤¾ की थी । इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ को पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कहें या सलाह या कà¥à¤› हद तक आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾, कà¥à¤› à¤à¥€ कहें, मगर यह समà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ हम दोनों को छू गया था । कोई कितना ही बड़ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, आखिर जमीन पर ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सहारा मिलता है। हवा में उड़ना, आकाश को छूना, कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ के खेल हैं, मानव मन के विजय रथ के सोपान है, पर धरा - वसà¥à¤‚धरा की गोद में जो शांति, सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ व आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ मिलती है वह गगन विहार में कहां ? खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व मिलन के पल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥€ पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह मौसम अनà¥à¤•à¥‚ल होते ही उड़ान à¤à¤° लेते हैं । विदाई के कà¥à¤·à¤£ à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र उन मेघमाला की तरह होते हैं जो अचानक बरस पड़ते हैं, अशà¥à¤°à¥à¤•à¤£ न दिखाई पड़ें लेकिन मानव - मन à¤à¥€à¤¤à¤° तक आंदोलित हो उठता है चाहे हम अपनों के पास जाà¤à¤ या अपनों से दूर कदम बढ़ाà¤à¤ ।.
Product Details
- Format: Paperback
- Book Size:6 x 9
- Total Pages:325 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-9364317894
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:September 26 ,2024
Product Description
अपनों से दूर- अपनों के पास हमारे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ का ठिकाना नहीं रहा जब हमने चाà¤à¤¦ से लाई गई à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ देखने को मिलीं, जिसे हमने हाथ से छà¥à¤† । हम वाकई गदगद थे । कà¥à¤› और । चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¥€ वहाठरखी गई थी जो अंतरिकà¥à¤· से à¤à¥‚मि पर आ गिरी थी । हमने उनके साथ फोटो साà¤à¤¾ की थी । इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ को पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कहें या सलाह या कà¥à¤› हद तक आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾, कà¥à¤› à¤à¥€ कहें, मगर यह समà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ हम दोनों को छू गया था । कोई कितना ही बड़ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, आखिर जमीन पर ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सहारा मिलता है। हवा में उड़ना, आकाश को छूना, कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ के खेल हैं, मानव मन के विजय रथ के सोपान है, पर धरा - वसà¥à¤‚धरा की गोद में जो शांति, सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ व आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ मिलती है वह गगन विहार में कहां ? खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व मिलन के पल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥€ पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह मौसम अनà¥à¤•à¥‚ल होते ही उड़ान à¤à¤° लेते हैं । विदाई के कà¥à¤·à¤£ à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र उन मेघमाला की तरह होते हैं जो अचानक बरस पड़ते हैं, अशà¥à¤°à¥à¤•à¤£ न दिखाई पड़ें लेकिन मानव - मन à¤à¥€à¤¤à¤° तक आंदोलित हो उठता है चाहे हम अपनों के पास जाà¤à¤ या अपनों से दूर कदम बढ़ाà¤à¤ ।.