Apna Apna Akash
हरियाणा लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बहà¥à¤¤ ही फलदायी है। यहां नये से नये
रचनाकार लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ की ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो रहे हैं और इस विधा को समृदà¥à¤§
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गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से इस विधा से जà¥à¥œà¥€ हैं और à¤à¤• लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹ की पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿
मà¥à¤à¥‡ à¤à¥‡à¤œà¥€ है। जैसे कोई अपने नवजात शिशॠको बड़े चाव से दिखाता है।
मैं दिवà¥à¤¯à¤¾ कोचर के इस पà¥à¤°à¤¥à¤® लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹ ‘अपना अपना आकाश’ का
जोरदार सà¥à¤µà¤¾à¤—तॠकरता हूà¤à¥¤.
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:118 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-93-88256-44-5
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
हरियाणा लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बहà¥à¤¤ ही फलदायी है। यहां नये से नये
रचनाकार लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ की ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो रहे हैं और इस विधा को समृदà¥à¤§
कर रहे हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ में से à¤à¤• ह ै इसà¥à¤®à¤¾à¤‡à¤²à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ की ‘दिवà¥à¤¯à¤¾ कोचर’ बड़ी
गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से इस विधा से जà¥à¥œà¥€ हैं और à¤à¤• लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹ की पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿
मà¥à¤à¥‡ à¤à¥‡à¤œà¥€ है। जैसे कोई अपने नवजात शिशॠको बड़े चाव से दिखाता है।
मैं दिवà¥à¤¯à¤¾ कोचर के इस पà¥à¤°à¤¥à¤® लघà¥à¤•à¤¥à¤¾ संगà¥à¤°à¤¹ ‘अपना अपना आकाश’ का
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