ANTIM VEER DAKU BHOOPAT SINGH
अंतिम वीर...डाकू à¤à¥‚पत सिंह चौहान यà¥à¤¸à¥à¤«à¤¼ अमीन"…के बारे में लगà¤à¤— दो साल पहले जब शबाना के.आरिफ़ के साथ मैं à¤à¤• टीवी सीरियल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर रहा था जिसे दोनो पति-पतà¥à¤¨à¥€ लिख रहे थे..चरà¥à¤šà¤¾ के दौरान इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया की डाकू à¤à¥‚पत सिंह नाम के रीयल क़िरदार पे à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिख रहे है… बड़ा अजीब सा लगा था डाकू के जीवन पर वो à¤à¥€ à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸..? लेकिन आज लिखने के बाद à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥‡à¤œà¥€ और इसे पढ़कर मेरी रॉय मांगी…और सच ये है कि पढने के बाद à¤à¤• डाकू à¤à¥‚पत सिंह का महान चरितà¥à¤° मेरे दिल-दिमाग़ पे छा गया है..लेखक ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे तेज़ धावक के जीवन की करवट को जिन संवेदनशील तानों मे बà¥à¤¨à¤¾ है बहà¥à¤¤ दिलचसà¥à¤ª है… उसके साथ पाखी और à¤à¥‚पत का पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग, दोनो की जà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के बाद à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤¿à¤• रूप मे जीवन à¤à¤° साथ रहते हैं पाखी को कोई मानसिक बीमारी नही है लेकिन वो à¤à¥‚पत के परिवार में उसकी पतà¥à¤¨à¥€ बनकर रहते हूठहर पल à¤à¥‚पत के साथ रहती है पूरा जीवन उसे अपने पास पाती है. ..सच कहूं तो लेखक ने इस पà¥à¤°à¥‡à¤® के साथ पà¥à¤°à¥‡à¤® की महानता, पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ का जो सजीव मरà¥à¤®à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¥€ चितà¥à¤°à¤£ किया है बेमिसाल है...लेखक की लेखनी का मैं हमेशा पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक रहा हूं लेकिन à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¤¾à¤° के रूप मे तो किरदारों के जीवन की घटनाओं में à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को सजीव कर इतनी सशकà¥à¤¤à¤¤à¤¾ के साथ दिल दिमाग़ मे बिठा देना सराहनीय है…!.
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:132 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-88256-15-5
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
अंतिम वीर...डाकू à¤à¥‚पत सिंह चौहान यà¥à¤¸à¥à¤«à¤¼ अमीन"…के बारे में लगà¤à¤— दो साल पहले जब शबाना के.आरिफ़ के साथ मैं à¤à¤• टीवी सीरियल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर रहा था जिसे दोनो पति-पतà¥à¤¨à¥€ लिख रहे थे..चरà¥à¤šà¤¾ के दौरान इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया की डाकू à¤à¥‚पत सिंह नाम के रीयल क़िरदार पे à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिख रहे है… बड़ा अजीब सा लगा था डाकू के जीवन पर वो à¤à¥€ à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸..? लेकिन आज लिखने के बाद à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥‡à¤œà¥€ और इसे पढ़कर मेरी रॉय मांगी…और सच ये है कि पढने के बाद à¤à¤• डाकू à¤à¥‚पत सिंह का महान चरितà¥à¤° मेरे दिल-दिमाग़ पे छा गया है..लेखक ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे तेज़ धावक के जीवन की करवट को जिन संवेदनशील तानों मे बà¥à¤¨à¤¾ है बहà¥à¤¤ दिलचसà¥à¤ª है… उसके साथ पाखी और à¤à¥‚पत का पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग, दोनो की जà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के बाद à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤¿à¤• रूप मे जीवन à¤à¤° साथ रहते हैं पाखी को कोई मानसिक बीमारी नही है लेकिन वो à¤à¥‚पत के परिवार में उसकी पतà¥à¤¨à¥€ बनकर रहते हूठहर पल à¤à¥‚पत के साथ रहती है पूरा जीवन उसे अपने पास पाती है. ..सच कहूं तो लेखक ने इस पà¥à¤°à¥‡à¤® के साथ पà¥à¤°à¥‡à¤® की महानता, पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ का जो सजीव मरà¥à¤®à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¥€ चितà¥à¤°à¤£ किया है बेमिसाल है...लेखक की लेखनी का मैं हमेशा पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक रहा हूं लेकिन à¤à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¤¾à¤° के रूप मे तो किरदारों के जीवन की घटनाओं में à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को सजीव कर इतनी सशकà¥à¤¤à¤¤à¤¾ के साथ दिल दिमाग़ मे बिठा देना सराहनीय है…!.