Anhoni
ढलती षाम में अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ बà¥à¤¨à¥‡ लगा था। आसमान में काले बादल गहराने लगे। à¤à¥€à¤¨à¥€à¤‚-à¤à¥€à¤¨à¥€à¤‚ हवाओं के साथ-साथ, आकाष में पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कतारें, अपने घोंसले की तरफ लौटने लगे थे। सावन की सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ शाम में; हलà¥à¤•à¥€ बूनà¥à¤¦à¤¾-बांदी होने लगी थी! सागर की तेज उमड़ती लहरें, किनारों के बड़े-बड़े पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से टकरा कर, बहà¥à¤¤ दूर तक उसका पानी बिखेरने लगा था!
मà¥à¤‚बई की लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में, नौकरी-पेषा वाले लोग अपने-अपने घरों को लौटने लगे थे। à¤à¥€à¥œ à¤à¤°à¥€ सड़क पर, छोटे-बड़े वाहनों की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤°, बारिष में धीमी हो गई थीं। हर कोई हलà¥à¤•à¥€ बारिष में à¤à¥€à¤‚गते हà¥à¤, अपने-अपने घरों की तरफ à¤à¤¾à¤— रहे थे। यहाठकी तेज़ रफà¥à¤¤à¤¾à¤° ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में, किसी के पास रà¥à¤•à¤¨à¥‡ का वकà¥à¤¼à¤¤ नहीं था। इस माया नगरी में रोज़ अनगिनत लोग आते और अनà¥à¤¯ लोगों की à¤à¥€à¥œ में खो जाते थे। सपनों की इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में लोग, à¤à¤• उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की चाहत लिठआते। à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ नगरी कहीं और हो à¤à¥€ नहीं सकती, जहाठअमीर हो या गरीब सà¤à¥€ ने अपनी-अपनी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ बसा ली थी! यहाठà¤à¤•-दूसरे के संगी-साथी बदलने में देर नहीं लगती। à¤à¤•-दूसरे को जान कर à¤à¥€ लोग जान नहीं पाये थे। à¤à¤•-दूसरे के साथ रहकर à¤à¥€ मन से साथ नहीं थे। सबको अपने मतलब से मतलब था।
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Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:85 pages
- Language:Hindi
- ISBN:978-93-90229-03-1
- Publication Date:September 2 ,2020
Product Description
ढलती षाम में अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ बà¥à¤¨à¥‡ लगा था। आसमान में काले बादल गहराने लगे। à¤à¥€à¤¨à¥€à¤‚-à¤à¥€à¤¨à¥€à¤‚ हवाओं के साथ-साथ, आकाष में पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कतारें, अपने घोंसले की तरफ लौटने लगे थे। सावन की सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ शाम में; हलà¥à¤•à¥€ बूनà¥à¤¦à¤¾-बांदी होने लगी थी! सागर की तेज उमड़ती लहरें, किनारों के बड़े-बड़े पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से टकरा कर, बहà¥à¤¤ दूर तक उसका पानी बिखेरने लगा था!
मà¥à¤‚बई की लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में, नौकरी-पेषा वाले लोग अपने-अपने घरों को लौटने लगे थे। à¤à¥€à¥œ à¤à¤°à¥€ सड़क पर, छोटे-बड़े वाहनों की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤°, बारिष में धीमी हो गई थीं। हर कोई हलà¥à¤•à¥€ बारिष में à¤à¥€à¤‚गते हà¥à¤, अपने-अपने घरों की तरफ à¤à¤¾à¤— रहे थे। यहाठकी तेज़ रफà¥à¤¤à¤¾à¤° ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में, किसी के पास रà¥à¤•à¤¨à¥‡ का वकà¥à¤¼à¤¤ नहीं था। इस माया नगरी में रोज़ अनगिनत लोग आते और अनà¥à¤¯ लोगों की à¤à¥€à¥œ में खो जाते थे। सपनों की इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में लोग, à¤à¤• उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की चाहत लिठआते। à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ नगरी कहीं और हो à¤à¥€ नहीं सकती, जहाठअमीर हो या गरीब सà¤à¥€ ने अपनी-अपनी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ बसा ली थी! यहाठà¤à¤•-दूसरे के संगी-साथी बदलने में देर नहीं लगती। à¤à¤•-दूसरे को जान कर à¤à¥€ लोग जान नहीं पाये थे। à¤à¤•-दूसरे के साथ रहकर à¤à¥€ मन से साथ नहीं थे। सबको अपने मतलब से मतलब था।
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