
Maa Mati Aur Mitra
मिटà¥à¤Ÿà¥€ को अगर ग़ौर से देखे तो लगता है मिटà¥à¤Ÿà¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त विशेष बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से पूरà¥à¤£ है। जो अपनी पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ से किसी à¤à¥€ बीज को विशाल वट वृकà¥à¤· बना देती है, बंजर से बंजर और उपजाऊ ज़मीं में à¤à¥€ ये दिवà¥à¤¯ गà¥à¤£ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होते हैं। मिटà¥à¤Ÿà¥€ मातà¥à¤° धूल के कण या à¤à¤• à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— नहीं होती है ये अपने आप में जीवन का अविरल शà¥à¤°à¥‹à¤¤ और सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ जीवन ही है। .
Product Details
- Format: Paperback, Ebook
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:112 pages
- Language:
- ISBN:978-93-88256-70-4
- Publication Date:January 1 ,1970
Product Description
मिटà¥à¤Ÿà¥€ को अगर ग़ौर से देखे तो लगता है मिटà¥à¤Ÿà¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त विशेष बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से पूरà¥à¤£ है। जो अपनी पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ से किसी à¤à¥€ बीज को विशाल वट वृकà¥à¤· बना देती है, बंजर से बंजर और उपजाऊ ज़मीं में à¤à¥€ ये दिवà¥à¤¯ गà¥à¤£ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होते हैं। मिटà¥à¤Ÿà¥€ मातà¥à¤° धूल के कण या à¤à¤• à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— नहीं होती है ये अपने आप में जीवन का अविरल शà¥à¤°à¥‹à¤¤ और सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ जीवन ही है। .